Vishal Ramawat

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THE WORST ANIMAL(HUMAN)-18



रंजना ने उसे पूरी बात बता दी थी पर वह सबूत मांग रहा था रंजना बोली मेरे पास सबूत के नाम पर कुछ नहीं है। मैंने आपको सूचना दे दी अब आपको देखना है उस औरत को बचाना या नहीं बचाना । उस गाड़ी के नंबर नही थे और ना कुछ और भी था उन लोगों ने अपने चेहरे को मास्क पहन रखा था इससे ज्यादा मुझे कुछ नहीं पता। रंजना वहा से जाने लगी तो वह बोला गुस्सा क्यों हो रही है चले जाइएगा घर तो आराम से यहां हमारे साथ बैठकर चाय पानी पी लीजिए फिर चले जाना वैसे भी आपके घर पर कौन इंतजार कर रहा है कोई है नहीं आपका इंतजार करने वाला । रंजना बोला मेरे घर मेरा बेटा है और मुझे कोई नही चाहिए। वह बोला मैं छोड़ दूंगा आपको घर।

रंजना बिना पुलिस वाले की बात नहीं सुने वहां से अपने घर के लिए निकल जाती है। इन सब चक्कर में वो काफी लेट हो चुकी थी पर फायदा कुछ नहीं हुआ सोच रही थी पुलिस उसकी मदद करेगी जिससे वह औरत बच जाएगी पर वह भूल चुकी थी यह वही पुलिस वाले है जो उसकी बेटी को नहीं ढूंढ सके।

वह अपने घर के लिए निकल चुकी थी रंजना रोड पर जा रही थी तब उसे पीछे से हॉर्न की आवाज सुनाई देती है तो रंजना साइड में हो जाती हैं । वह अभी भी उसी बात को सोच रही थी कि उस औरत के साथ क्या होगा । वह यह सब सोचते सोचते ही साइड में हो गई पर अभी भी पीछे से हॉर्न की आवाज सुनाई दे रही थी । रंजना रुक कर पीछे देखने लगी तो एक गाड़ी खड़ी थी उसके पीछे। उसे गुस्सा आ रहा था की रोड खाली है फिर भी वह हॉर्न बजाए जा रहा है । गाड़ी उसके पास आकर खड़ी हो गई पर गाड़ी के अंदर कौन बैठा है वह दिखाई नहीं दे रहा था।

रंजना उस गाड़ी के पास गई और उसने कार के शीशे को नॉक किया तो अंदर बैठे शख्स ने गाड़ी के कांच को नीचे किया तो रंजना ने झुक कर उसे देखा यह वही आदमी था जो उस दिन  उसे उस दिन स्कूल के बाहर मिला था। वह गाड़ी से उतर कर बाहर आया और रंजना से बोलना रंजना जी आप इस वक्त इतनी रात को वह भी अकेले पैदल कहां जा रही है। वह बोली कही नहीं घर जा रही हूं तो वह शख्स बोला आपका घर यहा से बहुत दूर है आप इस वक्त अकेली कैसे घर जायेगी ।

रंजना भीं आस पास देखने लगी की वहा उसे कोई ऑटो भी नही मिलने वाला। और उसे घर भी जल्दी जाना है पहले ही वह काफी लेट हो चुकी थी। वह बोला मैं आपको आपके घर छोड़ देता हूं इस वक्त अकेले घूमना अच्छी बात नहीं है रंजना उसको मना कर रही थी कि मैं चली जाऊंगी । अंदर से तो रंजना भी डर रही थीं की वह घर कैसे जाएगी। पर वह आदमी नहीं माना और रंजना को गाड़ी में बैठने के लिए बोला। क्योंकि वह रंजना के चेहरे पर आई परेशानी देख चुका था।

रंजना पीछे बैठने वाली थी तो वह वापस बोला आप आगे बैठ जाइए वरना मुझे ड्राइवर वाली फीलिंग आएगी। आप मैम साहब और मैं आपका ड्राइवर। उसकी बात सुनकर रंजना के चेहरे पर मुस्कान आ गई वह उसके पास वाली सीट पर बैठ गई।

गाड़ी में रेडियो पर गाना बज रहा था कम आवाज में । उस आदमी ने गाड़ी चालू कर दी। ओर दोनो अपनी मंजिल की तरफ चल पड़े। गाड़ी में गाना बज रहा था

होंठों से छूलो तुम
मेरा गीत अमर कर दो
होंठों से छूलो तुम
मेरा गीत अमर कर दो

बन जाओ मीत मेरे
मेरी प्रीत अमर कर दो
होंठों से छूलो तुम
मेरा गीत अमर कर दो

न उमर की सीमा हो
न जनम का हो बंधन
न उमर की सीमा हो
न जनम का हो बंधन

जब प्यार करे कोई
तो देखे केवल मन
नई रीत चलाकर तुम

ये रीत अमर कर दो
ये रीत अमर कर दो
मेरा गीत अमर कर दो

दोनों ही खामोशी के साथ उस गाने के एक-एक शब्द को महसूस कर रहे थे। रंजना उसे अपना घर का रास्ता बता रही थी और वह गाड़ी चला रहा था। कुछ देर में गाड़ी रंजना के घर के आगे आकर रुकी। रंजना ने उसे अपने घर चाय पीने के लिए बुलाए पर उसने मना कर दिया । वह बोला फिर कभी आऊंगा अभी चलता हूं लेट का भी हो चुका है बेटी इंतजार कर रही होगी घर पर।

वह गाड़ी चालू करके वहां से चला जाता है और रंजना उसे जाते हुए देखती रह । कुछ ही देर में वह आदमी अपनी गाड़ी के साथ रंजना की आंखों से गायब हो जाता है। रंजना अंदर आती है सामान लेकर तो। साहिल सोफे पर बैठा हुआ था वह टीवी देख रहा था।

रंजना सामान लेकर किचन में जाती है और जल्दी से खाना बनाने लगती है । आज लेट हो गया था उसे पता था साहिल को भूख लगी होगी इसलिए उसने जल्दी से सब्जी काटी और उसे फ्राई किया और रोटी बनाने लगी। उसने साहिल को किचन में ही बुलाया और वही बैठा दिया और वह उसे खाना परोसने लगी। साहिल ने खाना खाया फिर वही बैठ गया, रंजना ने भी खाना खाया उसके बाद साहिल रंजना का काम में हाथ बटाने के लगा जिससे काम जल्दी हो जायेगा।

साहिल अपने कमरे में चला गया था क्योंकि उसे नींद आ रही थी । रंजना अपने कमरे में लेटी हुई थी उसे नींद नहीं आ रही थी वह उस औरत के बारे में ही सोच रही थी कि उसके साथ क्या हुआ होगा कौन थे वह लोग।

तभी उसे उस आदमी का ख्याल आया जो उसे स्कूल के बाहर मिला था वह उसके बारे में सोचने लगती है एक वह आदमी है जो बिना जाने उसने मेरी मदद की और एक वह पुलिस वाला जिसके पास सब कुछ होने के बाद भी उसने मेरी एक मदद नहीं की । बल्कि उसने मेरी परेशानी और बढ़ा दी वह तो मेरी इज्जत के साथ खेल रहा है तभी रंजना का फोन बजा उस पर एक मैसेज आया था उसमे लिखा हुआ था। मैं घर आ रहा हूं दरवाजा खुला रखना मैसेज पढ़कर रंजना इतना तो समझ गई थी कि यह किसका मैसेज है ।

वह सोचने लगी कुछ तो करना पड़ेगा पर अगर बात बाहर चली गई तो बहुत बड़ी दिक्कत हो जाएगी इसलिए और किसी को बता नहीं सकती इस बारे में । अगर बात बाहर पता चलती है तो
उसकी तो इज्जत चली जाएगी साथ में साहिल को लोग गलत नजरों से देखेंगे पर क्या करें उसे समझ में नहीं आ रहा था। क्योंकि अपने समाज में लड़की की गलती मानते हैं उसमें उसकी गलती बिल्कुल भी नहीं हो तब भी।

वह यह सब सोच ही रही थी तभी उसके फोन पर एक और मैसेज आया कि दरवाजा खोलो। रंजना ने जाकर दरवाजा खोला तो वही पुलिस वाला था सादे कपड़ों में। वह बोला  मैंने कहा था ना दरवाजा खुला रखने के लिए फिर क्यों नहीं खोला। रंजना कुछ नही बोली तो पुलिसवाला अंदर आया और उसने दरवाजा बंद किया। रंजना को अपने पीछे आने का कहा और वह रंजना के कमरे में चला है रंजना भी उसके पीछे-पीछे अपने कमरे में आई । 2 घंटे तक वह रंजना के साथ हैवानियत करता रहा फिर वापस चला गया वह आज भी पिया हुआ था।

आज वह नशे की हालत में था उसने बहुत बुरी तरीके से काटा गले के नीचे जो जख्म दिखाई दे रहा था और उसके चेस्ट पर भी उसने कटा था। जिसकी वजह से उसे दर्द हो रहा था वह चला गया रंजना ने जैसे-तैसे उठकर दरवाजा बंद किया और वैसे ही आ कर लेट गई। उसके शरीर पर जगह जगह उसने अपने दातों से काटा था उसने इसलिए उसका पूरा शरीर दर्द कर रहा था और वह अपने शरीर पर कंबल ओढ़ कर सो गई । उसमे इतनी भी हिम्मत नहीं थी की वह उठ कर अपने कपड़े पहन ले उसे बहुत दर्द हो रहा था।

सुबह उसे साहिल ने उठाया कि मम्मा ऑफिस जाने है ना आपको उठ जाओ वरना लेट हो जाएगा। उसकी आवाज सुनकर रंजना की आंखें खुली जो रोने की वजह से लाल थी। लाल आंखो को  देखकर साहिल समझ गया था क्योंकि जब वह कमरे में आया था तब उसने कमरे में बिखरे कपड़ो को देखा था।

उसने सभी कपड़ों को इक्कठा किया ओर अपनी मां को दिया फिर कमरे से बाहर चला गया। वह सीधा किचन में गया और  कुछ और बनाने लगा । उसने पास्ता बनाया और साथ में चाय बनाई रंजना जैसे-तैसे बाहर आई क्योंकि उसका शरीर बहुत दर्द कर रहा था।

साहिल ने मम्मी को चाय दी फिर दोनों बैठ कर नाश्ता करने लगे साहिल तैयार हो चुका था स्कूल के लिए वह बोला मां आज मैं चला जाऊंगा । आप तैयार होकर ऑफिस चले जाना। साहिल  उम्र में छोटा था पर बहुत समझदार था वह जानता था अपने घर की मजबूरी । इसलिए वह स्कूल के लिए निकल चुका था रंजना भी तैयार होकर बस के लिए चली गई। रंजना अपने ऑफिस पहुंच चुकी थी और साहिल भी अपने स्कूल चुका था।

रंजना के ऑफिस का स्टाफ बहुत अच्छा था सब लोग उसे इज्जत से बात करते थे उसका ख्याल रखते थे सब कुछ सही था। रंजना ने अभी तक अपने ऑफिस के बॉस को नहीं देखा था उसने सिर्फ नाम सुना था क्योंकि वह दूसरे ऑफिस में रहते थे और यह दूसरी ऑफिस में । इस ऑफिस का जो मैनेजर था वह उसी के ऑफिस के बाहर बैठती थी।

उसके बॉस अभी दूसरा ऑफिस संभाल रहे हैं इसलिए यह ऑफिस वह मैनेजर ही हैंडल कर रहा है।

अकेली लड़की जब सड़क पर निकलती है तो लोग उस पर हाथ मारना चाहते हैं, उसे बेवक्त, बेवजह, बिना इजाजत छूना चाहते हैं, जकड़ना चाहते हैं। जब लड़की आवाज उठाती है तो बदचलन, आवारा और चरित्रहीन बता दी जाती है। यही आज के समाज की असली सच्चाई है।

कमश:
।। जयसियाराम ।।
vishalramawat"सुकून"(जाना)


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7 Comments

Natasha

05-Apr-2023 12:17 PM

Nice

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शानदार प्रस्तुति 👌

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Varsha_Upadhyay

05-Feb-2023 06:47 PM

Nice 👍🏼

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